Friday, February 25, 2011

कभी अंधेरों से न डरो



यों डरा न करो कभी अंधेरों से
अंधेरा भी उजाले का ही साथी हैं
स्वप्न ही है जिन्दगी के सुख दुख
स्वप्न अच्छा हो या बुरा हो
वो स्वप्न ही होता है असल में
इन पर  दिल ना लगाओ करो
हर सुबह की एक शाम होती है
हर रात का भी होता एक सवेरा
दुस्वप्न ही समझ कर दुख को हंसो
हंसी स्वप्न भी हवा में उडाते ही चला
जिन्दगी का लुफ्रत मुस्कराते उठाते चलो
जिन्दगी के सफर में मुसापिफर बन कर जीओ
अपना पराये के जाल में ना फंसो
यहां साया भी साथ देता नहीं जिन्दगी में सदा
जिन्दगी है एक हसीन तोहफा खुदा का
उसकी दरियादिली पर सर झुकाते रहो
जिन्दगी का लुफ्रत हर पल उठाते रहो।
जीत हो या हार तुम गाते-मुस्कराते रहो
-देवसिंह रावत