Wednesday, September 4, 2013

वेलेन्टाइन डे मनाने वाले इंडिया में कैसे षिक्षक दिवस मनायेगा भारत ?


जबसे देष की षिक्षा, संस्कृति व भाशा को
हुक्मरानों ने अंग्रेजी का गुलाम बनाया है 
जगद्गुरू रहा भारत तभी से रो रहा है 
जयचंदों के कारण गुलामी झेल रहा है ।
कैसे बनाया देष  ं15 अगस्त 1947 से 
आजादी के नाम पर अंग्रेजी का गुलाम 
भारत को बलात अब इंडिया बना दिया 
कभी जगतगुरू रहा यह महान भारत
बेषर्मी से पंचमों की जय गा रहा है।
जहां गुरू कभी ब्रह्म स्वरूप पूज्य थे 
वहां धनपषु सर क्यों बना दिये है ?
न्याय, ज्ञान विज्ञान संस्कार नहीं आज
षिक्षा  धन कमाने की मषीन बनाती है 
कभी दया धर्म का देष रहा भारत भी
षराब का गटर बन कत्लखाना बना है
वेलेन्टाइन डे मनाने वाले इंडिया में 
कैसे षिक्षक दिवस मनायेगा भारत ?
विद्यालयों को दफन कर सरकार क्यों
स्कूलों को यह टकसाल बना रही है
भारत को मिटा कर क्यों शडयंत्र से अब
फिरंगियों का गुलाम इंडिया बना रही है


 देवसिंह रावत 
(षिक्षक दिवस पर प्रातः 8.46 बजे, 5 सितम्बर 2013)

Sunday, August 25, 2013

जागो! मेरे भारत अब तो जागो


जागो! मेरे भारत अब तो जागो
भारत को तबाह होने से बचाओं।
सत्ता के  भैडियों से देष बचाओ
इन कालनेमियों से धर्म बचाओं।
सत्यानाषी बने विकास पुरूश से
आओ! समाज और देष बचाओ ।
ये षतुर्मुग बने भैडिये देष लुटाये
मगरमच्छी आंसूओं से जग भ्रमाये।
खाते देष के हैं पर पाक के प्यारे
अमेरिका के लिए ये देष लुटायें ।
आतंकियों को ये खिलायें बिरयानी
राश्ट्रभक्तों को पुलिस से पिटवायें।
मंहगाई व भ्रश्टाचारी कुषासन से 
देष को ये खून के आंसू रूलाये ।
आजादी के नाम पर देष में देखों
बेषर्मी से अंग्रेजी का गुलाम बनायें।
भारत व भारतीयता को मिटा कर 
सत्तांध इंडिया का कलंक लगायें।।
जागो! मेरे भारत अब तो जागो
भारत को तबाह होने से बचाओं।

देवसिंह रावत 
(रविवार, 25 अगस्त 2013, रात्रि 9 बज कर 57 मिनट )
https://www.facebook.com/BharatiyaMuktiSena?ref=hl

Friday, August 9, 2013


मजहब के नाम पर सिखाते ये आपस में बैर रखना


मजहब के नाम पर सिखाते 
ये आपस में बैर रखना
पहले अंग्रेजों के गुलाम थे हम 
अब अंग्रेजी के गुलाम बने है

कहीं जाति के नाम पर लडाते
कहीं क्षेत्र के नाम पर बांटते
कहीं धर्म के नाम पर कटा कर
कुर्सी के लिए देश तबाह करते।


कभी चंगेजों ने इसे लूटा
कभी फिरंगियों ने भी लूटा
अब चीन, पाक अमेरिका
से मिल कर लूटा रहे हैं

बने हुए है जो रहनुमा 
वो ही वतन लुटा रहे हैं
आतंकी गद्दारों को ये 
मिल कर बचा रहे हैं

देशभक्तों की आवाज को
गोलियों से दबा रहे है
शिक्षा के नाम पर आज 
यहां गुलामी सिखा रहे हैं। 

भारत के प्राण है गो गंगा
उनको कत्लगाहों में कटा रहे हैं
मजदूरो व मेहनतकशों को
ठेकेदारों से लुटा रहे हैं।


विकास के नाम पर देखो
भ्रष्टाचार का गटर बना हैं
धृतराष्ट्र बने है रहनुमा
कुशासन से देश रो रहा है 

वंदे मातरम् न कह कर ये अब
फिरंगी सम्राट को ही दे रहें सलामी 
हर दिन जल रहा यहां तिरंगा
गाये जा रहे है पाक के तराने 

दूश्मन जो भी कर रहे हैं हमला
उन्हें बिरयानी रसगुल्ले खिला रहे हैं
और भारत की जनता को देखो ये
मंहगाई भ्रष्टाचार से मार रहे हैं।।

-देवसिंह रावत
(प्रातः 9 बजे, शंनिवार 10 अगस्त, 2013)

Thursday, August 8, 2013

हर दिन मिले ईद दिवाली सी खुशियां, 


हर दिन मिले ईद दिवाली सी खुशियां,
हर पल खिले जग में आशाओं  के फूल।
गले लगायें हम सब दीन-दुखियों को
मिटाओ हिंसा भ्रष्टाचारी व चंगेजी राज।
जीवन के इस दिव्य सफर में मेरे साथी
हम सबको मिले अपने मन के ही मीत ।
आओ हम  मिल जग को ऐसा बनायें
न हो जग में राग, द्वेष, हिंसा का वास।
हो न किसी का जग में, कही भी शोषण
ऐसा सुन्दर बसंत सा महके हमारा संसार।
प्रभु जग से मिटे अज्ञानता का घोर अंधेरा
ऐसा रोशन करे दिवाली का दिव्य प्रकाश।
होली ईद की तरह ही मनायें सब मिल
मिटे जग से आतंक, हिंसा चंगेजी राज।
संकल्प लो, जीओ और जीने दो सबको
बनाओं न इस दिव्य दुनिया को कत्लगाह ।
मिटे धर्म, जाति, नस्ल, क्षेत्रवाद की हिंसा
बोलें सब प्रेम, बंन्धुत्व व अपनत्व की भाषा।


 -देवसिंह रावत
(9 अगस्त, शुक्रवार,2013 ईद के पावन पर्व पर प्रातः 9.31 बजे)