मैं ही श्रीकृष्ण कन्हैया हॅू
मैं अजर अमर अविनाशी हूॅ
हर घट घट का वासी हॅू
कोई मनाये जन्म दिवस तो
में ही श्रीकृष्ण कन्हैया हॅू।
कोई मुझे शिव रूप में भजता
उसको हम कैलाशवासी हैं।
कोई जगदम्बे रूप में ध्याये
उसके भवन माॅं भवानी हैं।
सभी रूपों में मैं हॅू अविनाशी
भेद समझना नासमझी है।
सकल सृष्टि में लय प्रलय कर
मैं ही सर्वेश्वर आदि अनादि हॅू।
मैं मथुरा में, मैं ही काशी में
मैं ही जड़ चेतन का वासी हॅू।
मुझसे कुछ अलग नहीं सृष्टि में,
मुझमें ही जीवन मृत्यु मुक्ति है।
-देवसिंह रावत
(भगवान श्रीकृष्ण प्रकटोत्सव पर प्रातः10 बजे कर 8 मिनट पर श्रीकृष्ण कृपा वाणी )
मैं अजर अमर अविनाशी हूॅ
हर घट घट का वासी हॅू
कोई मनाये जन्म दिवस तो
में ही श्रीकृष्ण कन्हैया हॅू।
कोई मुझे शिव रूप में भजता
उसको हम कैलाशवासी हैं।
कोई जगदम्बे रूप में ध्याये
उसके भवन माॅं भवानी हैं।
सभी रूपों में मैं हॅू अविनाशी
भेद समझना नासमझी है।
सकल सृष्टि में लय प्रलय कर
मैं ही सर्वेश्वर आदि अनादि हॅू।
मैं मथुरा में, मैं ही काशी में
मैं ही जड़ चेतन का वासी हॅू।
मुझसे कुछ अलग नहीं सृष्टि में,
मुझमें ही जीवन मृत्यु मुक्ति है।
-देवसिंह रावत
(भगवान श्रीकृष्ण प्रकटोत्सव पर प्रातः10 बजे कर 8 मिनट पर श्रीकृष्ण कृपा वाणी )