Sunday, August 17, 2014

मैं  ही श्रीकृष्ण कन्हैया हॅू


 मैं अजर अमर अविनाशी हूॅ
हर घट घट का वासी हॅू
कोई मनाये जन्म दिवस तो
में ही श्रीकृष्ण कन्हैया हॅू।
कोई मुझे शिव रूप में भजता
उसको हम कैलाशवासी हैं।
कोई जगदम्बे रूप में ध्याये
उसके भवन माॅं भवानी हैं। 
सभी रूपों में मैं हॅू अविनाशी
भेद समझना नासमझी है।
सकल सृष्टि में लय प्रलय कर
मैं ही सर्वेश्वर आदि अनादि हॅू। 
मैं मथुरा में, मैं ही काशी में
मैं ही जड़ चेतन का वासी हॅू। 
मुझसे कुछ अलग नहीं सृष्टि में,
मुझमें ही जीवन मृत्यु मुक्ति है। 


-देवसिंह रावत
(भगवान श्रीकृष्ण प्रकटोत्सव पर प्रातः10 बजे कर 8 मिनट पर श्रीकृष्ण कृपा वाणी  )




















हसरत पूरी करते हैं श्रीकृष्ण

जिसने सर पर श्रीकृष्ण का आशीर्वाद रहता
उनकी हर हसरत पूरी होती इस दुनिया में।
यह केवल ख्याली लफाजी नहीं मेरे दोस्त
श्रीकृष्ण ने हर सपने जीवन में पूरे किये मेरे।
किन शब्दों में धन्यवाद करूं में परमेश्वर का
उनकी कृपा से तो चमन आबाद है मेरा।।
नहीं है जीवन में कोई शिकायत कन्हैया से
मुझे चाहत नहीं किसी दौलत व शौहरत की । 
कृष्ण कृपा के बिना मेरा अस्तित्व नहीं जग में
मैं तो हॅू ही नहीं,  हैं वही  हर कण कण में। 
जब से कृष्ण सागर में गोता लगाया है मेने
तब से दुनिया को श्रीकृष्णमय ही मेने पाया।।

-देवसिंह रावत 
(श्रीकृष्ण कृपा से जन्माष्टमी के पावन पर्व पर 17 अगस्त की रात 10.36 बजे)