Tuesday, March 17, 2015

हर कालनेमी कोे यही पैगाम हमारा


हर कालनेमी कोे यही पैगाम हमारा

कभी पूरा नहीं होगा सपना तुम्हारा।

मुंह में राम पर पीठ पर छूरी चलाये

भोली सूरत बना करजग मूर्ख बनाये।

झूठ पर झूठ बोले ये हैं षडयंत्रकारी

देखों साथियों से भी ये करे गद्दारी ।

इसको देख कर शुतुमुर्ग भी सरमाये

घडियाली आंसू से ये सबको भरमाये।।

भ्रष्टाचार मिटाकर राम राज लायेंगे

सब्जबाग दिखाकर ये कुर्सी कब्जाये।।

कुर्सी मिलते ही ये ऐसा राग अलापे

जनसेवक बन जम कर मौज उडाये।।


-देवसिंह रावत
(14 मार्च 2015 प्रात 8.48 बजे)


उनकी राहों के कांटे भी फूल बन जाते हैं

जिनकी नियत साफ और दिल में ईमान हो


उनकी राह में फूल भी कांटे बन जाते हैं

जो मुंह में राम बगल में छूरी रखता है।


कालनेमी  उस मक्कार धूर्त को कहते हैं

जो अपना बन कर छल प्रपंच करता है।


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